आज के समय में बढ़ती हुई प्रजनन समस्याओं के चलते कई लोग संतान प्राप्ति के लिए सहायक प्रजनन तकनीकों का सहारा लेते हैं। इन तकनीकों में से एक है IUI (Intrauterine Insemination), जो प्राकृतिक गर्भधारण की संभावना को बढ़ाने में सहायक होती है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे:
✅ IUI क्या होता है?
✅ IUI प्रक्रिया कैसे की जाती है?
✅ किन स्थितियों में IUI फायदेमंद होती है?
✅ IUI की सफलता दर और संभावित जोखिम
✅ IUI के बाद किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
IUI क्या है?
IUI, जिसे हिंदी में अंतरगर्भाशयी गर्भाधान कहा जाता है, एक प्रकार की सहायक प्रजनन तकनीक (ART) है। इस प्रक्रिया में, शुद्ध और गतिशील शुक्राणुओं को महिला के गर्भाशय (Uterus) में सीधे डाला जाता है, जिससे अंडाणु (Egg) तक उनके पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है और गर्भधारण के चांस बढ़ते हैं।
IUI प्रक्रिया कैसे की जाती है?
IUI की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी की जाती है:
1️⃣ ओव्यूलेशन ट्रैकिंग: डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि महिला का ओव्यूलेशन (अंडाणु निकलने की प्रक्रिया) सही समय पर हो। इसके लिए अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट किए जाते हैं।
2️⃣ शुक्राणु तैयार करना: पुरुष के वीर्य से स्वस्थ और गतिशील शुक्राणुओं को लैब में अलग किया जाता है।
3️⃣ शुक्राणु गर्भाशय में डालना: ओव्यूलेशन के दौरान, एक पतली कैथेटर के माध्यम से शुद्ध शुक्राणु को गर्भाशय में डाला जाता है।
4️⃣ प्रेगनेंसी टेस्ट: IUI के 10-14 दिनों बाद, गर्भधारण की पुष्टि के लिए प्रेगनेंसी टेस्ट किया जाता है।
किन स्थितियों में IUI फायदेमंद होती है?
IUI ट्रीटमेंट निम्नलिखित स्थितियों में मददगार हो सकता है:
✔ हल्का पुरुष बांझपन: शुक्राणुओं की संख्या कम हो या गतिशीलता कम हो।
✔ अनवुलेटरी साइकल: यदि महिला के मासिक धर्म अनियमित हैं।
✔ अज्ञात बांझपन: जब सभी टेस्ट नॉर्मल होने के बावजूद गर्भधारण नहीं हो रहा हो।
✔ सर्वाइकल म्यूकस समस्या: जिससे शुक्राणु अंडाणु तक नहीं पहुंच पाते।
✔ डोनर स्पर्म का उपयोग: यदि कोई पुरुष साथी नहीं है या शुक्राणु की गुणवत्ता ठीक नहीं है।
IUI की सफलता दर कितनी होती है?
IUI की सफलता दर कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है:
🔹 महिला की उम्र – 35 से कम उम्र में सफलता अधिक होती है।
🔹 शुक्राणुओं की गुणवत्ता और संख्या।
🔹 महिला की ओव्यूलेशन हेल्थ।
सामान्यतः, IUI की सफलता दर 10-20% प्रति चक्र होती है, लेकिन हार्मोनल सपोर्ट और सही समय पर ट्रीटमेंट लेने से यह दर बढ़ सकती है।
IUI के संभावित जोखिम
👉 हल्का संक्रमण: दुर्लभ मामलों में IUI से संक्रमण हो सकता है।
👉 मल्टीपल प्रेगनेंसी (जुड़वां/तीन बच्चे): यदि ओवुलेशन दवाओं का उपयोग किया जाए, तो जुड़वां या अधिक संतान होने की संभावना बढ़ सकती है।
👉 हल्की ऐंठन और रक्तस्राव: कुछ महिलाओं को IUI के बाद हल्की ऐंठन और स्पॉटिंग हो सकती है।
IUI के बाद क्या करें और क्या न करें?
✔ आराम करें: हालांकि सामान्य दिनचर्या जारी रख सकते हैं, लेकिन अत्यधिक शारीरिक श्रम से बचें।
✔ संतुलित आहार लें: प्रोटीन, फाइबर और हेल्दी फैट युक्त भोजन करें।
✔ स्ट्रेस से बचें: मेडिटेशन और हल्की एक्सरसाइज मददगार हो सकती है।
❌ धूम्रपान और शराब से बचें: ये प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।
❌ भारी वजन उठाने और अधिक यात्रा से बचें।
निष्कर्ष
IUI एक सरल, सुरक्षित और किफायती उपचार है जो कई दंपतियों के लिए संतान प्राप्ति की राह आसान बना सकता है। यदि आप बांझपन की समस्या से जूझ रहे हैं और IUI के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो Sensitive Fertility पर विशेषज्ञों से परामर्श लें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
❓ IUI और IVF में क्या अंतर है?
✔ IUI में शुक्राणुओं को सीधे गर्भाशय में डाला जाता है, जबकि IVF में अंडाणु और शुक्राणु को लैब में फर्टिलाइज करके भ्रूण गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है।
❓ क्या IUI प्रक्रिया दर्दनाक होती है?
✔ नहीं, यह लगभग एक सामान्य पैप स्मीयर टेस्ट जैसा होता है, जिसमें हल्की असहजता हो सकती है।
❓ IUI के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए?
✔ आमतौर पर IUI के 10-14 दिनों बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करने की सलाह दी जाती है।